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Sunday 14 August 2016

बस एक ही जीवन काफी है क्या?: आज़ाद भारत

बस एक ही जीवन काफी है क्या?: आज़ाद भारत: आज़ादी की सुबह बालकनी में खुले आसमान में देख रही थी , रंग बिरंगी गोते खाती हुई पतंगे , हवा में घुलता गुलाल , लहराता हुआ ...

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