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Sunday 14 August 2016

आज़ाद भारत

आज़ादी की सुबह बालकनी में खुले आसमान में देख रही थी, रंग बिरंगी गोते खाती हुई पतंगे, हवा में घुलता गुलाल, लहराता हुआ हमारा तिरंगा चारो और ख़ुशी का मस्ती का माहोल...   
आज 15 अगस्त भारत की आज़ादी का दिन , 1857 के 159 बरस या आज़ादी के 69 साल . 1857 का गदर कहे या आज़ादी की पहली लड़ाई ? आजादी के जश्न में 69 साल पलक झपकते ही निकल गये . देश कहा को था और कहा को चला ? कल भी देश सोने की चिड़िया था आज भी कहलाता है . पहले भी हिन्दुस्तानी विदेशी वस्तुओं से परभावित थे आज भी है . बदलाव हुआ भी है के नहीं, हुआ है ना टेक्नोलॉजी बदली, हमारा सविधान बदला मगर हमारी जड़े अभी भी वही है यानि के हमारी परंपरा, संस्कृति, रीत-रिवाज़ . कही कही विचारधारा भी ....
अभी भी हिन्दू मुस्लिम का मुद्दा ज्यों का त्यों है . दलित और गरीब के साथ अभद्र व्यव्हार, महिलाओं के साथ बुदसलूकी आम सी बात है... बेरोज़गारी सब से बड़ी समस्या है . हमारे देश के 50% से ज्यादा आबादी यंग है . किसी भी देश के लिए ये गर्व की बात है . लेकिन हमारा यूथ ही सब से ज्यादा परेशान है .कभी अच्छे इंस्टिट्यूट में ऐडमशन के लिए तो कभी नौकरी के लिए.  
विकास तो हो रहा है बस दिशा की पहचान नहीं लक्ष क्या होना चाहिए फिर से पीछे की और या आगे बढना  है  ? एक सभ्य समाज के लिए हमारी मानसिकता का विकसित होना सब से ज्यादा जरुरी है . हर एक क्षेत्र में सब को अपनी अपनी काबिलियत के अनुसार काम मिले . छोटे, बड़े, अमीर, गरीब का अलाप बंद हो जाये तो हमारे देश की ताकत कई गुना हो जाये गी.
जिस तरह हम मुसीबत या प्रकृतिक आपदा आने पर सब एक हो जाते है . क्या हम हमेशा साथ नहीं हो सकते ? रोज़ अख़बार की सुर्ख़ियों को पढ़ के अफ़सोस जताते है . भ्रष्ट भी हमी है और भ्रष्टचारी भी . हम क्यू भूल जाते है बापू की कही हुई बातों को ? गीता में लिखित शालोकों को . क्यू याद नहीं आती हमे भगत सिंह और राजगुरु की कुर्बानियां. क्यू अनदेखी कर देते है खून से लिखी कहानियां .          
आंखे मूँद लेने से केवल अँधेरा होता है , सपनो का जनम भी बंद आँखों में ही होता है . एक सपना सच्चे और अच्छे विक्सित भारत का, सपना उन्नति का, बराबरी का ,सपना सरहद पे बैठे नोजवानों की सुरक्षा का, सपना भारत माँ की गरीमा का ....
                                जिंदाबाद !


 By:RG         

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असान दिशा-ज्ञान