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Wednesday 20 July 2016


सुबह की ब्लैक कॉफ़ी और न्यूज़ पेपर काफी पुराना रिश्ता है दुआ सलाम के बिना दिन स्टार्ट नहीं होता,पेपर में अक्सर दिल दहला देने वाली खबरे भी बड़ी सारी होती है वेसे ही आज ब्लास्ट और आतंक की ख़बर थी......
आज के जो हालात है हर तरफ ब्लास्ट कर्फुयु तबाही...क्यू किस के लिए ऐसा क्या है , जो हम हासिल करना चाहते है. अपनी सुरक्षा ? तो फिर एक जानवर और इन्सान में क्या फर्क रह गया.जिंदा रहने के लिए एक दुसरे को मारना कहा तक सही है. सब की आँखों पर अपना अपना चश्मा है .लेकिन सब में एक बात कॉमन है वो ये है की हालात. वो जी ऐसा हो गया था वेसा हो गया था....सिर्फ इन्सान ही ऐसा है जिस के पास दिमाग है सोच समझ कर परिस्थितियों को बदल सकता है .धूप छाँव तो सब के हिस्से में है .हमे बचपन से ही सिखाया जाता है की बुरा मत करो, भगवान सब देख रहे है वो सजा दे गे .जब भगवान है रब है अल्लाह है जो सब देख रहा है वही सब से सही फेंसला लेता है, तो हम क्यू भगवान बनाने की कोशिश कर रहे है . सजा देना जान ले लेना कहाँ का धर्म है. या फिर हमारी नीव ही झूठ की बुनियाद पर बनी है? कुछ का अनुमान है की अपने मज़हब को बचाने के लिए ऐसा करते है ऐसा करने से जन्नत नसीब हो गी . जाने के बाद क्या है कौन जानता है ? तो फिर हम किस के पीछे भाग रहे है . सोचने वाली बात ये भी है की ये धर्म वाली आंधी किस ने चलाई और क्यू ? हम सब एक जैसे तो है, वही लहू का रंग वही आसमान का हवा, पानी, रोशनी सब के लिए एक है. जब प्रकृति ने कोई फर्क नहीं किया,तो हम सब क्यू किस के लिए पॉवर इज दा वर्ड ? पॉवर के लिए ही सब और आतंक मचा हुआ है .एक मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास लोग तो अपनी ही उलझनों में घिरे रहते है जिन का इन सब से कोई लेना देना नहीं वही सब से ज्यादा ज़ख़्मी होते है .आफ्टर पॉवर फेम इस इज वर्ड . साइंस टेक्नोलॉजी मीडिया ने जितनी तरक्की की है काबिले तारीफ़ है. हर समस्या का समाधान इन्टरनेट पर है सब सवालों के जवाब मिलेगे .किसी भी सोशल नेटवर्किंग साईट को ओपन करिए आप को ऐसे लोग भी बोहत मिलेगे इन को एक नाम दिया गया है नेगेटिव हीरो. ये लोग फेमस है गन हाथ में है तो पॉवर भी .किसी को नुकसान दे कर पहचान बनाना कहा तक सही है. सच अगर मौत है तो डर क्या है ?


 by:RG

असान दिशा-ज्ञान