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Monday 22 August 2016

सपने

गहरी नींद में थी सपने में कही भागी दौड़ी जा रही थी.. अलारम बजा, थराह के जागी. ऐसा क्या पीछे छूट गया जो दिन की रौशनी में नहीं दिखा ....
बंद पलकों के नीचे अँधेरा , उस काले गहरे अँधेरे में खवाबों की रोशनी, जो उस उजाले की और इशारा करती है. जहा सिर्फ ख़ुशी और संतुष्टि मिलती है. चाहतों को पूरा करने के लिए यकीन और उम्मीद ऐसे दोपहिया वाहन है, जिस के बिना गाडी चलना तो दूर हिल भी नहीं सकती.  गर मुझे खुद पर यकीन है और उम्मीद का दामन है. तो कोई भी ताकत मेरे खवाब्बों में दरार नहीं डाल सकती. है मगर यकीन तभी आ सकता है जब मुझे तजुरबा है . वो क्या है की इल्म से आज़ादी की दायरा बड़ा हो जाता है. जीतनी बंदिशे कम हो गी मंजिल का रास्ता छोटा होता चला जाये गा . दिशा, दिशा की पहचान पाना सब से बड़ा सवाल ? आसन है जिस तरह बाहर जाने से पहले हम इन्क्वायरी करते है दूसरों से पूछ ताछ करते है हर तरह से नेगेटिव पोसिटिव का आंकलन तैयार करते है . ठीक वेसे ही समझदारी से कदम रखिये. कामयाबी हर वक़्त साथ हो गी .अक्सर ज़रूरी नहीं कामयाबी की और बढता कदम सच्चा हो अच्छा हो, क्यूकी सच्चाई ,अच्छाई और कामयाबी कभी दोस्त बन ही नहीं सकते . तो साम दाम दंड भेद से आगे की और रुख करे , रास्ता अपने आप बनता चला जाये गा. बस हिम्मत नहीं छोड़ना. सपने देखना कभी कम न करना….

By: RG       

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असान दिशा-ज्ञान