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Tuesday 5 July 2016

आकर्षण

             आज टीवी पर आनंद मूवी देख रही थी ज़िन्दगी क्या है एक रंगमंच ही तो है... इस डायलॉग के साथ दिमाग में खलबली सी हुई (और ऊपर वाला सब से बड़ा डायरेक्टर जिस के इशारों पर हम सब) ब्रेक डांस करते रहते है. हम सब में एक कलाकार होता है सब को दिखाई भी देता है बस दिखावा कोई कोई करता है जो दिखा देता है उसे हम एक्टर कह देते है . अपने हाव भाव से कुछ ऐसा जादू करते है की बस सपनों की दुनियां ही हकीकत लगने लग जाती है . एक कलाकार जादू बखेरता कैसे है? प्लानिंग, फीलिंग एंड स्पीकिंग .अब सोचने वाली बात ये है की एक्टर कैसे बने अब ऐसी कोई स्टडी तो है नहीं की ये आर्ट्स सब्जेक्ट्स स्टडी करू तो कॉमेडियन बन जाओ या साइंस स्टडी कर लू तो रोमेंटिक हीरो और विलन बनाने के लिए कोंन सी स्टडी कॉमर्स अब हिसाब किताब तो वही होता है ना . अब कुछ का कहना है शक्ल अच्छी होनी चाहिए, बॉडी फिट हो ? एक अदाकार 2 रोल एक साथ करता है रियल और आर्टिफीसियल लाइफ स्टाइल . फर्क क्या है फेस एक्सप्रेशन – जिस के सामने सारी खूबसूरती धरी की धरी रह जाती है.  
ये दुनिया दूर से जितनी शानोशोकत और चकाचोंद खूबसूरत नज़र आती है हकीकत उससे कही परे है ये तो हम सब को पता ही है. हम में से कितने है जो उस मुकाम तक पहुंच पाते है .बहुत ही कम ? ऐसा नहीं है की वो उस दर्जे के नहीं है बहुत से ऐसे है जो न जाने कितने अनुभवी है मगर प्लेटफार्म नहीं है काबिलियत दिखाने का . असलियत में ये क्या है धोखा खुली आँखों का सपना या कुछ और जिस की तरफ हम आकर्षित होते है ....


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असान दिशा-ज्ञान