Pages

Tuesday 23 June 2015

क्रिसमस का तोहफा - लेखिका - ऋचा चतुर्वेदी




मिस्टर मेहरा का  परिवार  एक  मध्यम  वर्गीय था. दो  प्यारे   नठखट  बच्चे और पति और पत्नी . मिस्टर
मेहरा एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर थे और उनकी पत्नी हाउसवाइफ दोनों बच्चे स्कूल जाते थे. जब बच्चे बड़े होने लगे तो मिसेस महरा के पास कुछ खली समय बचने लगा. उन्होंने एक स्कूल में नौकरी कर ली आखिर वो भी एक क्वालिफाइड औरत थी और धीरे धीरे उनसे कई बच्चे घर पे भी पड़ने आने लगे . वैसे तो उन्होंने समय बिताने के लिए ये काम शुरू किया था ;यकीन अब वो इतनी मसरूफ रहने लगी की समय की कमी होने लगी.
घर में छोटे छोटे काम के लिए समय काम पड़ने लगा इसलिए उन्होंने अपनी  कामवाली को कहा की  वो शाम को थोड़ा ज्यादा देर तक रुक जाया करे, पर क्यूंकि कामवाली के पास पहले से ही इतने घर थे की उसने भी आगे अपनी बेटी को मिसेस मेहरा के छोटे मोटे काम करवा देने के लिए शाम को रुकने के लिए बोला .. धीरे धीरे सारा का सारा काम ही बच्ची के ऊपर आने लगा.
दोनों बच्चो को अपनी हम उम्र बच्ची के काम करना अच्छा नहीं लगता था. खासकर तब जब वह बच्ची बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से उनका स्कूल का बैग और किताबें देखती थी
जब क्रिसमस की छुट्टियां आई और दोनों पति पत्नी ने बच्चों से कोई गिफ्ट मांगने को कहा  तो बच्चो ने उस कामवाली की बेटी का स्कूल में दाखिला करवाने की लिए कहा...यह सुन कर दोनों पति और पत्नी हैरान रह गए और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ. अब शाम को और बच्चो के साथ मिसेस मेहरा उस बच्ची को भी पढ़ाने लगी. उस सोसाइटी के कुछ परिवारों ने मिलकर उस बच्ची के स्कूल का खर्च उठाने का जिम्मा भी ले लिया. अगर हम सब नागरिक लड़की को पढ़ाने के प्रति जागरूक हो जाएं तो इस देश को अवश्य प्रगति की और ले जा सकते हैं




No comments:

Post a Comment

असान दिशा-ज्ञान