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Monday 12 January 2015

लोहरी का त्यौहार- लेखक राजीव कोहली

बचपन से ही लोहरी का त्यौहार हर्ष और उल्लास का त्यौहार रहा है। अब भाई पंजाबी फॅमिली से हैं तो क्यों नहीं होगा भी। मूंगफली गजक रेवाड़ी और फुलले यानि की पॉपकॉर्न खूब मज़े में खाओ और वो भी अनलिमिटेड। कई बार तो यह त्यौहार अपनी नानी के घर मनाया। पुराने ज़माने में तो गली के बच्चे घर घर जेक लोहरी भी मांगते थे पर अब यहाँ दिल्ली में कभी ऐसा नहीं देखा। आज भी हम घर पे लोहरी मंक्टे हैं शाम को घर की बालकनी में बैठक लग जाती है कुछ पल के लिए सर्दी को भूल के लोहरी का पर्व ही याद रहता है। लोहरी नए साल के आगमन का भी पर्व है। पुरानी यादों को भुला कर नए सिरे से जिबदगी की अहरुआत करने का पर्व है। पंजाब में तो इसकी खूब धूम रहती है। मेरे लिये लोहरी का त्यौहार अपनी साडी बुरी यादों बुरे समय को भूल कर एक नए उमंग के साथ नया साल शुरू करने का त्यौहार है। आप सभी को लोहरी की लख लख बधाई।

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असान दिशा-ज्ञान