शाम का वक़्त था, मै
पार्क में टहलने गयी ! वहा कुछ बच्चें खेल रहे थे उन को देख के यादो की खिड़कियाँ
खुलने लगी , छोटी थी तो हमेशा बड़े होने की जल्दी थी ! आज़ादी मिले गी दोस्तों का
साथ हो गा जैसे एक परिन्दे को खुला आसमान ! मगर जब से बड़े हुए हैं फिर से बचपन में
जाने की चाह है क्योंकि जो मस्ती बेफिक्री और आराम है वो अब नहीं ! खुली आँख का
सपना मेरा किसी की आवाज़ से खुल गया किसी की आवाज़ कानो को छू रही थी ! देखा तो एक
लड़का था हो गा कोई 10-12 बरस का बोहत से मिटटी के खिलौने ले रखे थे! उस ने बोला एक
खिलौना ले लो मैडम बोहत सस्ता है, बेबसी और लाचारी उस के चेहरे से साफ छलक रही थी
! वो फिर बोला ले ली जिए ना ! उसे देख कर गुस्सा भी आ रहा था और दया भी ! गुस्सा
इस लिए की (12 जून) हम इंटरनेशनल चाइल्ड लेबर डे सेलिब्रेट कर रहे है (1986
मे कानून लागू हुआ जिस के तेहत 14 बरस के कम बच्चो से काम लेना कानूनी अपराध है)
और एक ये चाइल्ड है जिसे इस का मतलब भी नहीं पता, वो तो बस २ पैसे कमाने की कोशिश
में है. एक तरफ वो फूल थे जिन को महकता देख मैं भी खुशबू सी हो गयी ! और एक ये
मेरे सामने ...
मैं वही खड़ी थी, और
वो किसी और के पास चला गया खिलौना बेचने के लिए ! मैं पार्क से वापिस लौट रही थी
तो रास्ते में चाय की टपरी पर कुछ युवक गप शप कर रहे थे उन में से एक ने आवाज़ दी
ओये छोटू चाय दे जा, तो वही एक और कोई सड़क पर कचरा चुन रहा था ! तो कही
कंस्ट्रक्शन साईट पर ब्रिक्स उठाते हुए एक
और दिखा . एक सवाल की दस्तक हुई “बुक्स
और ब्रिक्स” ? भारत एक विक्सित देश है ,क्या ये हमारा आने वाला कल है ये विकास
नहीं हो सकता ? लेकिन ये क्या हो रहा है नज़र घुमा के देखा तो जो दिखाई दे रहा था
वो मैं देखना नहीं चाहती और शायद आप को भी अच्छा ना लगे ,बाल श्रम हमारे चारो और
हो रहा है ! जेनरलस्टोर से ले कर फैक्ट्री,घर से ले के ऑफिस बॉय तक,कैंटीन से
होटल हर छोटे छोटे कम के लिए हमें
हेल्पिंग हैण्ड की आदत हो गयी है !
हमारे सामने एक लाइव एक्सामपल
है हमारे प्रधानमंत्री Mr N Modi Ji जो खुद बालमजदूरी के शिकार रहे है !
हम सब
देख कर भी नज़र अंदाज़ कर देते है ! रोज डिबेट्स करते है पोलिटिकल,फैशन, भ्रष्टाचार
पर ! मगर ये भूल जाते है हम भी इन सब का ही हिस्सा है !
क्या इन नन्हे
फरिश्तों को कोई हक़ नहीं है खेलने का शिक्षित होने का ?
हा बिल्कुल हक़ है ,
आज बहुत सारी NGO है जो नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर काम करते है
“बचपन बचाओ आन्दोलन “कैलाश सित्यार्थी जी जो पिछले 60सालो से चाइल्ड लेबर के
विरोधी है वो पहले भारतीय है जिन्हे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया !
उन्होंने अब तक हजारों बच्चो को उन का बचपन लोटाया है !
हम सब को भी कैलाश
जी की तरह ऐसा कुछ करना चाहिए . अगर हम सब मिल के एक छोटे से पोधे को सींचे गे तो
बड़ा हो कर वो हमे ठंडी छाया और फल दोनों दे गा !
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