Pages

Sunday 18 January 2015

दस्तक - लेखक मोहित

 
तुमने सुनी होगी वो कहानी 
सुनसान रेगिस्तानो पहाड़ियों पर
एक जादूई दरवाज़े की कहानी

रोशनी से भरे उस दरवाज़े पर
सुना है की कोई दस्तक ना दे सका

यूं ही जब मुफलिसी की गिरफ्त में
टूटते तोर से, लकीर रोशनी की बना के,
अरमान सारे ज़मीन पर गिर कर बिखर गये
और होसलों के दिये भुजने को थे

काले से भी काले उदासी के बादल
मेरे कंधे पर अपना हाथ रखने को आतुर थे
मैने ज्यों ही उन काले बादल को झिड़का
इस दस्तक की आवाज़ हुई....

No comments:

Post a Comment

असान दिशा-ज्ञान