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Saturday 17 January 2015

मेरे गुरु, आदर्श, मार्गदर्शक श्री अरविन्द गौर को समर्पित -लेखक - राजीव कोहली

मुझ आज भी याद है जब मैंने पहली बार अरविन्द सर को सभी दर्शकों को सम्भोदित करते सुना था। दिन था शुक्रवार दस कहानियां नाटक के सफल मंचन के बाद कर्टेन कॉल के बाद अरविन्द सर नाटक के बारे में, नाटक को जीवंत बनाने वाले एक्टर्स के अनुभव दर्शकों को बता रहे थे। ये सब मैं कैसे जनता हूँ , ये सब मैं इसलिए जनता हूँ क्योंकि मैं भी दर्शकों की भीड़ का हिस्सा था। पूरा लोक कला मंच का ऑडिटोरियम खचाखच दर्शकों से वहार हुआ था। लेकिन पुरे एक घंटा तीस मिनट जितनी देर नाटक चला कोई भी उठ कर बहार नहीं गया। पहली बार अहसास हुआ था की नाटक, थिएटर से अब तक न जुड़ कर में अपने जीवन में क्या खो रहा था ।अरविन्द सर के एक एक शब्द प्रभावित कर रहे थे। मेरे थिएटर से जुड़ने के निश्चय को और भी पक्का कर रहे थे। बस इंतज़ार था की कब अरविन्द सर मिलने के लिए बुलाएं। हालाँकि मन में ये शंका थी की पता नहीं मैं थिएटर के लिए काबिल भी हूँ या नहीं । फिर वो वक़्त आया जब उनसे मिलने का अक्सर प्राप्त हुआ। उन्होंने सबको जो भी थिएटर से जुड़ना चाहते थे अस्मिता से जुड़ना चाहते से उन्हें शनिवार को आने के लिए कहा।तब से लेकर अभी तक जितना भी अरविन्द सर को जान पाया हूँ उनकी हर बात ने बस प्रभावित ही किया है। न केवल मेरे विचारों को पर मेरे जिंदगी जी तरफ देखने और समझने के नज़रिये को भी प्रभावित किया है। एक ऐसा सकरात्मक नजरिया जो शायद  जिंदगी की इस कशमकश में कही खो गया था। 

सच कहूँ तो अस्मिता में आक्टर नहीं बनाये जाते पर पहले एक अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दी जाती है। अपने सभी दुखों को भूल कर किरदार को मेहसूस करने की शिक्षा दी जाती है। एक ऐसा सूकून मिलता है अस्मिता में हर हफ़्ते जो पूरे हफ़्ते के सभी चिन्ताओं को मिटा देता है। गर्व मेहसूस होता है की अरविंद सर ने जो मुहिम शुरू की थी हम सब भी उस मुहिम का हिस्सा हैं। इस समाज को साफ सुथरा थियेटर देने की मुहिम। थियेटर की परंपरा को बनाये रखने की मुहिम। नुक्कड़ नाटक को हर आम आदमी के साथ जोड़ने की मुहिम। जितनी बार भी उनके साथ समय बीताने का मौका मिला है क्लास में, कुछ नया सीखने को मिला है, जिंदगी को सकरात्मक नज़रिये से देखने का मौका मिला है। बस इतना ही कहूंगा सर की अस्मिता अब हमारी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है। शुक्रिया सर, हमे ये मौका देने के लिये। 

1 comment:

  1. It was an amazing show. I still have the clipping of the schedule with me. All 10 plays were very beautifully put. Astounding performance from all the actors.

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असान दिशा-ज्ञान