एक दूसरे से जुड़ने की और समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने कि एक छोटी सी कोशिश
Monday, 29 August 2016
सकारात्मक सोच
हमारी निजी ज़िन्दगी भी कुछ कुछ ऐसी ही है मेल खाती है, ज़रा सा किसी दूसरी और तवाजो दिया इधर रेत की जेसे फिसली हाथ से, बावरी लहर से चली जाती है . हवा में उड़ना चाहते हो तो, सही वक़्त सही निर्णय हो . अपने अंदर एक सुलगन रहने दो इधर हवा चली उधर धूँआ उठा यहाँ चिंगारी ने आग पकड़ी . फिर इस तूफान को कोई नहीं थाम सकता .गिर के उठाना वही जानते है जो हार क्या है नहीं जानते है .लेकिन किसी को पाना और किसी को हासिल करना दो अलग पहलू है . एक सत्य है तो दूसरा यथार्थ .तस्वीर एक ही है बस वर्णन में नज़र का फेर है . समझदारी समय के साथ समझोता करने में ही है. प्रयत्न ही एक मात्र डगर है .अपनी मंशा की बीसाक कुछ इस तरह से बिछाना की परिस्थियों को शय से मात दे जाना .ना नफरत से ना क्रोध से ना ताकत से ना विरोध से बल से और ना ही छल से जीत तो हासिल होती है केवल सकारात्मक सोच से .
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