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Monday, 5 January 2015

सुबह की कश्मकश

हर रोज़ जब सुबह आँख खुलती है तो यही सोचता हूँ, कि क्या बस एक जीवन ही काफी है क्या? हर बार एक ही सवाल। लेकिन हर रोज़ एक नवीन उत्तर की साथ जिंदगी मेरा स्वागत करती है। शायद यही एक माध्यम है, एक शक्ति स्त्रोत है, जो हम सबको जीने की ओर प्रेरित करता है। यह मेरी जिंदगी का पहला ब्लॉग होगा। लेकिन यही आशा है कि आखरी ना हो। इस नये साल में सोचा है खुद को बदलने के बारे में। अपनी सोच, काम करने का तरीका, अपने विचारों को, एक नयी चेतना की ओर ले जाने के बारे में। इस समाज के लिये, कुछ करने के बारे में सोचा है। कैसे करूँगा, कब संभव हो पायेगा नहीं जानता, लेकिन हाँ, मन बार बार एक ही बात कहता है, कि कुछ तो कर जाओ जीते जी, की तुम्हारे रहते ना सही, पर तुम्हारे जाने के बाद तो यह दुनिया तुम्हें याद करे। जिंदगी में आज तक आसानी से कुछ नहीं पाया, ऐसे कई लोगों से मिला, संपर्क में रहा, और अभी भी हूँ, जिन्हें सब कुछ बहुत आसानी से मिलता गया ओर वो आगे बड़ते रहे। इसका मुझे कोई मलाल नहीं, पर मैं तो अपने को बहुत भाग्यशाली समझता हूँ। क्यूंकि इस बात पर विश्वास है कि मुश्किल रास्तों पर चलने के बाद जो सफलता की मंज़िल मिलती है उसे पाने का एक अलग ही नशा और एक अलग ही खुशी होती है। इसलिये आज से बल्कि अभी से इस ब्लॉग के जरिये आप सभी का साथ माँगता हूँ, आईये मेरे साथ चलें और जिस समाज जिस दुनिया, जिस शहर में हम रहते हैं, उसे और बेहतर बनायें, अपने विचारों को इस ब्लॉग के जरिये, सब तक पहुँचायें, फिर ना जाने कब कहाँ हमारी मंज़िल हमारा इंतज़ार कर रही होगी।

2 comments:

  1. ब्लॉग अभिव्यक्ति का एक बेहतरीन माध्यम है, जहाँ आप अपने आप को लिख सकते हैं, और अपने को ही खोज सकते हैं

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  2. शुक्रिया विवेक जी.... येह मेरे लिये बहुत बड़ी बात होगी अगर आप भी कुछ छोटा सा पोस्ट इस ब्लॉग के लिये लिखें। आप के ही प्प्रोत्साहन के चलते ये एक छोटी सी शुरुआत की है।

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असान दिशा-ज्ञान