
लेकिन यह बालक कुछ अजीब सा है
गरीब होने का अफ़सोस बिलकुल नही है
इसके हौसले अभी बुलंद हैं
कहता है एक दिन सितारों सा चमकेगा
कहीं दूर गगन में
आईये इसकी बातों को सुने-
ग़र्दिश में ही सही
नीले आसमां का सितारा हूँ मैं
दूर ही सही
झील सी आँखों का तारा हूँ मैं
इस घोर अन्धकार में ही सही
कल एक चमकता उजियारा हूँ मैं
सितारा हूँ मैं
मज़धार में ही सही
अनंत सागर का किनारा हूँ मैं
यह रूखे होठ ही सही
इक मुस्कान प्यारा हूँ मैं
सितारा हूँ मैं
हैं लड़खड़ाये आज कदम तो क्या
यह डगमगाती चाल ही सही
अनगिनत अधेरो का सहारा हूँ मैं
सितारा हूँ मैं
हैं पैरों में आज बंदिश तो क्या
संसार अमीरों की रंजिश तो क्या
बंद पड़े मंदिर मस्जिद के पट तो क्या
यह सीमित गलियारा ही सही
वह बादल मनचला आवारा हूँ मैं
सितारा हूँ मैं
हैं पग में पड़े छाले तो क्या
उदर में धधकते ज्वाले तो क्या
जगा मैं रातें सहश्र तो क्या
यह अत्यंत साधना ही सही
कल एक अमिट फ़साना हूँ मैं
तराना हूँ मैं
सितारा हूँ मैं
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